Sunday, March 29, 2009

हिन्दी राइटर्स गिल्ड की काव्य गोष्ठी व कार्यशाला

नवम्बर 08, 2008 - आज की कवि गोष्ठी सविता और संजीव अग्रवाल जी ने अपने घर पर आयोजित की। गोष्ठी का आरम्भ संजीव अग्रवाल ने सरस्वती दीप प्रज्जवलन से किया और सविता जी ने स्वरचित सरस्वती वन्दना का पाठ किया। डॉ. शैलजा सक्सेना ने गोष्ठी के
आरम्भ में बताया की आज का कार्यक्रम हिन्दी राइटर्स गिल्ड की काव्य-कार्यशाला का अगला चरण भी है और कहानी-कार्यशाला की भूमिका भी। आज के कार्यक्रम के लिए कवियों व कवयित्रियों से आग्रह किया गया था कि वह अपनी कविता से पहले किसी प्रतिष्ठित कवि की रचना सुनाएँ और अगर सम्भव हो तो इसी कविता से प्रेरित कविता का पाठ करें।
पहले कवि भगवत शरण श्रीवास्तव थे। उन्होनें नीरज की कविता “आँसू जब सम्मानित होंगे मेरा नाम लिया जाएगा” का चयन किया और अपनी कविता “मन की बात” सुनाई। अगले कवि उमादत्त दूबे थे। उनकी पहली कविता घनाक्षरी छन्द की ब्रजभाषा का छन्द था। इसके पश्चात उन्होंने तीन रचनाएँ सुनाईं पहली रचना “अमरत्व-साहित्य के सागर में मैं भी अपने नाम की कागज़ी नाव चलाऊँगा” प्रेरणादायक रचना थी। दूसरी रचना “यदि कोई मन मीत मिल विरह में मिले तड़पता” थी और इसके एक ग़ज़ल भी सुनाई – जिस तरफ़ चलती हो दुनिया उस तरफ़ मत जाइए। प्रीति धामने ने उमादत्त दूबे ’अनजान’ की कविता सुनाई और अपनी एक ग़ज़ल सुनाई – यूँ हवाओं के तेवर बदलते रहेंगे/जो जलते रहे हैं वे जलते रहेंगे। अगली कवयित्री किरण सिंह ने पंजाबी की कविता सुनाने का निर्णय लिया जो कि अमृता प्रीतम की रचना थी। उसके बाद उनकी कविता थी – यादों की लौ न मद्धम हो दिल का दिया जलाओ
तुम।इस कवि गोष्ठी में सविता जी के आमन्त्रण पर एक नई कवयित्री कृष्ण वर्मा भी उपस्थित थीं और उन्होंने अपनी कविता “मन के भावों को रूप देने के लिए” का पाठ किया।
शैरल ज़ाइवयर अँग्रेज़ी की लेखिका हैं। गोवा में जन्मी शैरल कराची पाकिस्तान से हैं और अँग्रेज़ी भाषा में ग़ज़ल भी लिखती हैं। उन्होंने ग़ालिब की ग़ज़ल – हाँ भला कर भला होगा दरवेश सुनाई और अपनी अँग्रेज़ी की ग़ज़ल –these honey dipped barbs are just the same का पाठ किया। अगले कवि सरण घई थे। उन्होंने भवानी प्रसाद मिश्र की कविता – गीत बेचता हूँ का सुनाने के लिए चयन किया। और उनकी अपनी हास्य कविता – रीटा ऐसा क्यों करती हो थी।
इस संध्या का सबसे बड़ा आश्चर्य था संजीव अग्रवाल जी की कविता। संजीव अग्रवाल भारतीय नौसेना के सेवा निवृत्त कमांडर हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में मन में उठते भावों को शब्दों में बाँधा था – कुछ भाव मन में आते। इस कविता के विषय में एक रोचक तथ्य उन्होंने बताया कि नौसेना की पत्रिका “अस्त्र” में जब उनकी यह कविता प्रकाशित हुई तो उसी पन्ने पर उस समय पर वैज्ञानिक भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति अब्दुल क़लाम की रचना भी प्रकाशित हुई।
हिन्दी टाइम्स के प्रकाशक/सम्पादक राकेश तिवारी ने “तुम पल
पल रूप बदलती हो” रचना सुनाई। आचार्य संदीप त्यागी “दीप” ने अपनी एक व्यंग्यात्मक ई-मेल का पाठ किया। आशा बर्मन ने एक सुन्दर कविता – मुझे क्या मिला - सुनाने के पश्चात बताया कि यह कविता उनके देवर अनिल बर्मन की लिखी हुई है। उनकी अपनी रचना “मन” थी। डॉ. शैलजा सक्सेना ने मुक्तिबोध की एक लम्बी कविता “मुझे कदम कदम पर” का अंश सुनाया और उसी से प्रेरित अपनी कविता फ़र्क - मैंने भी चाहा था समेट लूँ बाँहों में का पाठ किया। मीना चोपड़ा के प्रिय कवि गुलज़ार की रचना “अभी पर्दा न गिराओ” सुनाई और अपनी दो कविताएँ – स्तब्ध और इश्क़ का पाठ किया। अगले कवि निर्मल सिद्धू थे उन्होंने पंजाबी के प्रसिद्ध कवि सुरजीत पातर की – “मेरी कविता” का चयन किया। उनकी अपनी कविता वो आग थी। विजय विक्रान्त ने “कौरव कौन पाण्डव कौन” अटल बिहारी वाजपेयी की कविता सुनाई और उनकी अपनी रचना मुझे भी तो कुछ बताओ थी। सुमन कुमार घई ने नरेश मेहता के खण्डकाव्य “संशय की एक रात” का अंश और इसी से प्रेरित अपनी कविता “त्रिशंकु” का पाठ किया। अन्त में आज की गोष्ठी की संयोजिका सविता अग्रवाल ने रविन्द्रनाथ चौहान की कविता – एक नारी सुनाई और बाद अपनी कविता प्रवास सुनाई और इसके साथ ही कविताओं का दौर समाप्त हुआ।सुमन कुमार घई ने कहानी कार्यशाला के अन्तर्गत श्रोताओं व हिन्दी राइटर्स गिल्ड के सदस्यों को हिन्दी कहानी के संक्षिप्त इतिहास से परिचित करवाते हुए कहानी के मुख्य अंगों के विषय में बताया। उन्होंने सदस्यों को आमन्त्रित किया कि वह भी कहानियाँ लिखें। भविष्य में कहानियों की चर्चा के लिए अंतरजाल की सुविधा का प्रयोग करने के लिए सदस्यों के ब्लॉग बनाने का निर्णय लिया गया। यह निश्चित हुआ कि हिन्दी राइटर्स गिल्ड के सदस्य अपनी कहानियाँ अपने अपने ब्लॉग में प्रकाशित करें और सभी सदस्य उन्हें पढ़ कर अपनी टिप्पणियाँ दें और भविष्य के कार्यक्रमों व कार्यशालाओं में उनकी चर्चा में जलपान के साथ ही गोष्ठी व कार्यशाला का समापन हुआ।
पूरी कवि गोष्ठी सुनने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें -




3 comments:

  1. bahut badia parias hai mera kahani blog bhi dekhen
    www.veeranchalgatha.blogspot.com

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  2. bahut badia parias hai mera kahani blog bhi dekhen
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    www.veerbahuti.blogspot.com

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  3. काव्य-कार्यशाला पर रिपोर्ट पढ कर अच्छा लगा। यह पत्र मैंने पहले रिपोर्ट के कामेंट में लिखा था, फिर से उद्द्धृत कर रहा हूं -
    मेरे ख्याल में किसी विषय पर कोई परिचर्चा चले तो सक्रियता बनी रहेगी। विषय कोई भी हो सकता है - हिन्दी कहानी और कविता की वर्तमान स्थिति, प्रवासी और भारतीय साहित्य, वर्तमान लेखकीय संकट, कहानी और कविता में नये प्रयोग, चलन (Trends) आदि...
    सीधा संवाद साहित्य को संवर्धित करने में सहायक होता है और वह परिचर्चा के माध्यम से सम्भव है।
    सादर,

    अमरेन्द्र

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